क- कल्पना--- वि- विचार--- ता- तालमेल-- कल्पनाओं और विचारों का सही तालमेल ही कविता है. MAI PROSE BHI LIKHTA POETRY KI CHHAANW MEIN.
Thursday, April 19, 2012
Friday, April 6, 2012
फिर जिंदा हो ....
एकमुश्त मौत दे दो
फिर खुशियों वाले ब्याज पर
एक नयी जिंदगी लो
एक सही जिंदगी लो
फिर जिंदा हो
फिर जिंदा हो
क्या खूब मुखौटा पहने है
क्या खुद पर पर्दा डाला है
है चमकती पट्टी आँखों पर
समझे खुद को निराला है
ये झूठ के परों को कतरों ज़रा
फिर छूना सच के आकाश को
अब छोडो, दुनिया के खौफ को
इस किस्तों वाली मौत को
एकमुश्त मौत दे दो
फिर खुशियों वाले ब्याज पर
एक नयी जिंदगी लो
एक सही जिंदगी लो
फिर जिंदा हो
फिर जिंदा हो
मन में रखे आईने को
सही सूरत दे दो, जीने को
देख दूजों की चकाचौंध
क्यों खुद पर शरमाते हो
इस उतरन को उतार फेकों
फिर अपनी असल चमक देखो
क्यों गीले कोयले से सुलगते हो
इस किस्तों वाली मौत को
एकमुश्त मौत दे दो
फिर खुशियों वाले ब्याज पर
एक नयी जिंदगी लो
एक सही जिंदगी लो
फिर जिंदा हो
फिर जिंदा हो
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